About Us

शिवशक्ति 108 सेवा महासंघ
Shivshakti 108 Seva Mahasangh
समर्पित है मानव सेवा, सनातन संस्कृति के उत्थान और समाज के हर वर्ग के कल्याण हेतु।
Dedicated to human service, upliftment of Sanatan culture, and welfare of every section of society.
"सेवा ही धर्म है, और धर्म ही जीवन का उद्देश्य है।"
"Service is Dharma, and Dharma is the purpose of life."

Read More

प्रेरणाश्रोत एवं राष्ट्रीय संरक्षक आदरणीय श्री राजू दास जी महाराज का दिव्य संदेश

प्रेरणाश्रोत एवं राष्ट्रीय संरक्षक आदरणीय श्री राजू दास जी महाराज का दिव्य

“जात-पात की करो विदाई, हम सब सनातनी हैं भाई-भाई ”

सनातन धर्म केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि एक दिव्य जीवनशैली है, जो समस्त मानवता को जोड़ने का कार्य करती है। जाति-पाति, ऊँच-नीच, भेदभाव – ये सभी कृत्रिम दीवारें हैं, जिन्हें गिराना समय की पुकार है।

शिवशक्ति 108 सेवा महासंघ एक ऐसा पावन संगठन है जो सेवा, संस्कार और सनातन रक्षा के कार्य में तन-मन-धन से जुटा है। इस महासंघ की भावना एकता, समर्पण और धर्म रक्षा की है ।

हनुमान जी महाराज की कृपा से हम सबको यह संकल्प लेना चाहिए कि –

"जहाँ-जहाँ धर्म पर संकट हो, वहाँ-वहाँ शिवशक्ति और सनातन की सेना सबसे आगे हो।"

मैं शिवशक्ति 108 सेवा महासंघ के समस्त कार्यकर्ताओं, पदाधिकारियों एवं सेवाभावी सहयोगियों को आशीर्वाद देता हूँ कि वे इसी ऊर्जा और निष्ठा के साथ समाज और धर्म की सेवा करते रहें।

जय श्री राम | जय हनुमान | जय सनातन धर्म

– श्री राजू दास जी महाराज
(मुख्य महंत , हनुमानगढ़ी अयोध्या , उत्तर प्रदेश)


राष्ट्रीय मुख्य संरक्षक (नेशनल चीफ पैट्रन) का संदेश

राष्ट्रीय मुख्य संरक्षक (नेशनल चीफ पैट्रन) का संदेश

"शिव आदि हैं, शिव ही मध्य हैं और शिव ही अनंत हैं। वह ही संहारक हैं, वह ही सृजनकर्ता और वह ही पालक हैं । शिव ही कल्याण और करुणा के प्रतीक हैं । "

ॐ नमः शिवाय

“सृष्ट्टिस्थितिसंहारकारिणीं शक्त्तिमाश्रितः शम्भुः सर्वेश्वरो महेश्वरः।”
(अर्थः) — “जो सृजन, पालन और संहार के मूल में हैं, वे शिव ही परमेश्वर हैं।”

हमारा उद्देश्य केवल संस्था का विस्तार नहीं, बल्कि समस्त जीवों के कल्याण की दिशा में एक सतत यात्रा है। यह यात्रा धर्म, करुणा और सेवा से ओतप्रोत है। हम मानते हैं — जहाँ मानवता है, वहीं शिवत्व है। जहाँ प्रेम और सद्भाव है, वहीं महाकाल की कृपा का वास है।

शिवो भूतेश्वरः साक्षात्,शिवो धर्मः परायणः। शिवे रमेति चेत्सर्वं, तन्मयं जगतं स्मृतम्॥(अर्थः) — “शिव ही समस्त प्राणियों के स्वामी हैं, शिव ही धर्म का परम आधार हैं। जहाँ शिव रमते हैं, वहाँ संपूर्ण ब्रह्मांड का कल्याण सुनिश्चिचित होता है।”

हमारा मार्ग अहंकार नहीं, अर्पण का है। हमारा लक्ष्य प्रदर्शन नहीं, परमार्थ का है।
हमारी भावना —
"सबका कल्याण हो, सबका उत्थान हो, और सबमें शिव का अनुभव हो।"
लोकाः समस्ताः सुखिनो भवन्तु। सर्वे भवन्तु सुखिनः,सर्वे सन्तु निरामयाः। हर-हर महादेव
जय शिवशक्ति ।जय सनातन।जय महाकाल

हरिदासीय संप्रदाय हिम गौरव सुप्रसिद्ध कथावाचक श्री पंकज जी महाराज
राष्ट्रीय मुख्य संरक्षक(नेशनल चीफ पैट्रन)

प्रधान आध्यात्मिक मार्गदर्शक(चीफ स्प्रिचुअल एडवाइजर) का संदेश

प्रधान आध्यात्मिक मार्गदर्शक(चीफ स्प्रिचुअल एडवाइजर) का संदेश

मैं, आचार्य मनमीत वासुदेव, अपनी संपूर्ण श्रद्धा,विश्वास और आत्मिक एकत्व के साथ शिवशक्ति 108 सेवा महासंघ को अपनी पूर्ण शुभकामनाएं अर्पित करता हूँ। यह महासंघ केवल एक संगठन नहीं, बल्कि शिव तत्व, शक्ति साधना और सनातन धर्म की दिव्य धारा का एक जीवंत संगम है। इसका प्रत्येक उद्देश्य — मानव सेवा, आधयात्मिक जागरण, धर्म र्म प्रचार, गौसेवा, नारी सशक्तिकरण, पर्यावरण रक्षा — साक्षात शिव महापुराण के सिद्धांतों का विस्तार है। सेवा ही धर्म है, और धर्म ही शिव का रूप है।

मुझे गर्व है कि मैं इस महासंघ से जुड़ा हूँ और यह विश्वास है कि यह संगठन आने वाले वर्षों में एक शिवमय भारत के निर्माण में क्रांतिकारी भूमिका निभाएगा। मैं सम्पूर्ण ब्रह्मांड के कल्याण हेतु, इस महासंघ की सफलता, विस्तार, स्थायित्व और सात्विकता की प्रार्थना करता हूँ।
“यत्र नार्य र्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता।”
जहाँ सेवा और नारी का सम्मान होता है, वहाँ साक्षात् देवता निवास करते हैं।
जय महाकाल। जय माँ आदि शक्ति । हर हर महादेव।

संस्कृतचार्य एवं सुप्रसिद्ध कथावाचक श्री मनमीत वासुदेव जी
प्रधान आध्यात्मिक मार्गदर्शक(चीफ स्प्रिचुअल एडवाइजर)

संस्थापक एवं प्रधान का संदेश

संस्थापक एवं प्रधान का संदेश

“जहाँ सेवा है, वहीं शिव हैं — और जहाँ शिव हैं, वहीं मोक्ष है।”

"शिव शक्त्ति 108 सेवा महासंघ" कोई साधारण संस्था नहीं है, यह महाकाल की प्रेरणा से उत्पन्न एक दिव्य संकल्प है : एक ऐसा संकल्प जो मानवता की सेवा, संस्कृिति की रक्षा और आध्यात्त्त्मिक जागरण के पथ पर अग्रसर है।

हमारे सभी उद्देश्य सनातन मूल्यों पर आधारित हैं — जहाँ शिक्षा से अज्ञान दूर हो,रोज़गार से आत्मनिर्भरता का निर्मााण हो,महिलाओं को सम्मान, स्वाभिमान और सुरक्षा मिले,नशा-मुक्त, जागरूक और सशक्त समाज का निर्माण हो,गौ-संरक्षण, वृक्षारोपण और प्रकृति -पूजन से हमारी धरती स्वस्थ और संतुलित हो, और प्रत्येक आत्मा में संस्कारों और संस्कृति ति की ज्योति जल उठे। सनातन धर्म र्म केवल पूजा-पाठ नहीं,बल्कि एक जीवन दर्शन है । यह धर्म र्म हमें सिखाता है:
सेवा करो, समर्पण करो और मोक्ष की ओर बढ़ो। यह प्रकृति और मानवता के बीच संतुलन का संदेश देता है और करुणा, अहिंसा, सत्य, संयम , दया को जीवन में उतारने की प्रेरणा देता है। सनातन वह शाश्वत सत्य है —
जो ना कभी शुरू हुआ, ना कभी समाप्त होगा। यह ईश्वर का स्वरूप है — निराकार, अनादि, अविनाशी।
तुलसीदास जी ने कहा है: “परहित सरिस धरम नहि भाई, पर पीड़ा सम नहि हि अधमाई।” अर्थात् — परोपकार से बढ़ कर कोई धर्म नहीं, और दूसरों को पीड़ा देने से बड़ा कोई अधर्म नहीं।
पिता श्री महाकाल के श्रीचरणों में समर्पित:
“अकाल मृत्यु वो मरे, जो काम करे चांडाल का, काल भी उसका क्या करे, जो भक्त हो महाकाल का।”
हमारा जीवन तभी सार्थक है जब वह महाकाल की भक्ति और मानव सेवा में लगा हो।
महामृत्युंजय मंत्र: ॐ त्र्यंबकं यजामहे सुगंधिं पुष्ट्टिवर्धर्धनम्, उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्यो्मुक्षीय माऽमृतात्॥
जय सनातन। जय महाकाल

कैलाशी जतिंदर सनातनी
(संस्थापक एवं प्रधान)
शिवशक्ति 108 सेवा महासंघ

सह-संस्थापक एवं कोषाध्यक्ष का संदेश

सह-संस्थापक एवं कोषाध्यक्ष का संदेश

"हर अर्पण में तर्पण है, हर सेवा में शिव का साक्षात स्वरूप है।"

शिव शक्ति 108 सेवा महासंघ की प्रत्येक गतिविधि श्रद्धा से अर्पित और पारदर्शिता से संचालित है। हमारा हर अंशदान, हर प्रयास - समर्पण, सेवा और सद्भावना का प्रतीक है। संस्था की शक्ति इसकी नीयत, नीति और निस्वार्थ निष्ठा में है। हम अर्थ से नहीं, अर्थपूर्ण कर्मों से जुड़े हैं।
जय सनातन । जय श्री महाकाल

कैलाशी नीरू सनातनी
(सह-संस्थापक एवं कोषाध्यक्ष)
शिवशक्ति 108 सेवा महासंघ