संस्थापक एवं प्रधान का संदेश
“जहाँ सेवा है, वहीं शिव हैं — और जहाँ शिव हैं, वहीं मोक्ष है।”
"शिव शक्त्ति 108 सेवा महासंघ" कोई साधारण संस्था नहीं है,
यह महाकाल की प्रेरणा से उत्पन्न एक दिव्य संकल्प है : एक ऐसा संकल्प जो मानवता की सेवा, संस्कृिति की रक्षा और आध्यात्त्त्मिक जागरण के पथ पर अग्रसर है।
हमारे सभी उद्देश्य सनातन मूल्यों पर आधारित हैं —
जहाँ शिक्षा से अज्ञान दूर हो,रोज़गार से आत्मनिर्भरता का निर्मााण हो,महिलाओं को सम्मान, स्वाभिमान और सुरक्षा मिले,नशा-मुक्त, जागरूक और सशक्त समाज का निर्माण हो,गौ-संरक्षण, वृक्षारोपण और प्रकृति -पूजन से हमारी धरती स्वस्थ और संतुलित हो,
और प्रत्येक आत्मा में संस्कारों और संस्कृति ति की ज्योति जल उठे।
सनातन धर्म र्म केवल पूजा-पाठ नहीं,बल्कि एक जीवन दर्शन है ।
यह धर्म र्म हमें सिखाता है:
सेवा करो, समर्पण करो और मोक्ष की ओर बढ़ो।
यह प्रकृति और मानवता के बीच संतुलन का संदेश देता है और करुणा, अहिंसा, सत्य, संयम , दया को
जीवन में उतारने की प्रेरणा देता है।
सनातन वह शाश्वत सत्य है —
जो ना कभी शुरू हुआ, ना कभी समाप्त होगा।
यह ईश्वर का स्वरूप है — निराकार, अनादि, अविनाशी।
तुलसीदास जी ने कहा है:
“परहित सरिस धरम नहि भाई,
पर पीड़ा सम नहि हि अधमाई।”
अर्थात् — परोपकार से बढ़ कर कोई धर्म नहीं,
और दूसरों को पीड़ा देने से बड़ा कोई अधर्म नहीं।
पिता श्री महाकाल के श्रीचरणों में समर्पित:
“अकाल मृत्यु वो मरे, जो काम करे चांडाल का,
काल भी उसका क्या करे, जो भक्त हो महाकाल का।”
हमारा जीवन तभी सार्थक है
जब वह महाकाल की भक्ति और मानव सेवा में लगा हो।
महामृत्युंजय मंत्र:
ॐ त्र्यंबकं यजामहे सुगंधिं पुष्ट्टिवर्धर्धनम्,
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्यो्मुक्षीय माऽमृतात्॥
जय सनातन। जय महाकाल
कैलाशी जतिंदर सनातनी
(संस्थापक एवं प्रधान)
शिवशक्ति 108 सेवा महासंघ